उनका नाम न हिन्दू न मुस्लमान
वो बस बेघरों की गिनती में शुमार
न सत्ता की चाह न गद्दी से प्यार
उन्हें तो बस अपने आशियाने का इंतज़ार
हजारों की भीड़ रोती आम सड़कों पर
सरकार मूक और कानून अँधा है
उन आम लोगों के आंसुओं का क्या मोल
जिनके पास नहीं अपना घरोंदा है
लोगों की ज़मीन का अवैध धंधा
तो अमीरों की अजीब हठ है
वो जो सड़कों पे रहते हैं
उनक लिए तो असमान ही छत है
बड़े बड़े कारखानों की लालच में
दिखते ही किसे हैं उनक मटमैले छप्पर
धू धू कर जला देते हैं सबकुछ
उनका एक अकेला सुन्दर घर
मुआवज़े और वादे कागज पर फैली स्याही
जो किसी क आंसुओं से धुल जाती है
वो गरीबों के मत से अपना घर बनाते
और उसी के घर को तोड़कर
धुंधले विकास की सडकें बनवाते
वाह....अद्भुत...सुन्दर...संवेदनशील....तुममें एक अच्छी कवियित्री होने की अपार संभावनाएं है दामिनी.
ReplyDeleteपंकज.
बहुत अच्छा, लिखती रहो दामिनी ।
ReplyDeletevery good keep it up, very nicely written.
ReplyDeleteवाह वाह वाह!
ReplyDeleteये हुई न कोई बात,
शब्दों को सुंदरता से पिरोया है।
पंकज जी की बात से सहमत हूँ।
होली की शुभकामनाएं।
एक निवेदन-ब्लाग से वर्ड वेरिफ़िकेशन हटाएं।
kya bat hai damini bahut khoob itni choti si age me itni gahri soch u really god gifted
ReplyDeleteyaar really .. sabdo ko bahut shi milaya hai
ReplyDeleteaur kaviyatri ne sachhayi se hum sabka saamna karaya hai
Achhi Rachna Hai !!
ReplyDeleteBahut achha likha hai Damini. Tumane to vastav likha hai. Garibonke sath yahi hota aa raha hai. Tumame ek kaviyatri ke achhe gun hai. God Bless you.
ReplyDeleteऐसे ही लिखती रहो..
ReplyDeleteविकास क्यों धुंधला है
ReplyDeleteइसके राज रोज ही जाहिर हो रहे हैं
Very nice poem.
ReplyDeleteYou are a good poetess in both the languages, Damini.
I liked it.
Damini you need to be a bit more expressive,
ReplyDeletebut you really have the talent.
I wish you a very bright future.
this is the first blog of urs m reading and i just find tht u r extraordinary in ur field..
ReplyDeletesuperb work damini
keep it up